The Basic Principles Of bhoot ki kahani
The Basic Principles Of bhoot ki kahani
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Bhoot ki kahani
हैलो दोस्तो अगर इस कहानी में कुछ गलतियां हो तो माफ़ करना ओर अगर अच्छी लगे तो कॉमेंट्स करना ताकि मोटीवेशन मिले। आशा करता हूं आप सबको पसंद आएगी। तो चलिए कहानी शुरू करता हूं। मेरा नाम अभय शर्मा है। जैसा ...
मैं उसके पास रुका भी नहीं क्योंकि मुझे उस लड़की से डर लग रहा था। वह लड़की कई दिनों तक मुझे देखती रहती थी। एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया।
और वह नाश्ता मंगा कर खाने लगे .और उनको याद आया कि मेरे पास नींबू मिठाई भी रखी हुई है। तो उन्होंने उसे भी खा लिया .
फिर मैं उसका पता पढ़ कर उसके पते के अनुसार मैं उसके घर मिलने के लिए गया। दरवाजा खोलते ही एक आदमी आया और बोला कि क्या काम है तो मैंने बोला कि मुझे प्रीति से मिलना है।
एक दिन वह लड़की वहां पर नहीं दिखाई दी।तो मैं सोच में पड़ गया। ऐसा क्या हुआ जो वह लड़की आज नहीं आई । फिर मैं अपने घर की तरफ निकल पड़ा। एक हफ्ते बाद मेरे घर पर एक चिट्ठी आई और मुझे पता चल गया था कि यह चिट्ठी उसकी ही है। उसमें उसका नाम प्रीति लिखा हुआ था।और उसमें से एक फोटो निकली थी। जो कि उसी लड़की की थी। मैं चौक गया की उसे मेरा पता कैसे चला।
तो मैंने देखा कि जैसे कोई सफेद साड़ी पहनकर,बाल खोलकर,लाल कलर की लाली लगाकर, जोर-जोर से हंस रही थी। मैने डर के मारे आंख नीचे कर लि.और नीचे देखने लगी। तभी कोई के चिल्लाने की आवाज आई.
एकदिन गांब के कुछ साहसी बच्चे उस भूतिया घर में जाने का और उस घर में घूमने का फैसला किया। बच्चे जब घर के सामने गए तो देखा सिर्फ खिरकी खुली हुई है। और बे सभी उसी खिरकी से अनादर चले गए। बे अँधेरे में घर के अंदर घूम ही रहे थे की अचानक से खिरकी बंद हो गई। यह देखकर सारे बच्चे डर गए।
उस औरत ने कहा की वह घरेलु हिंसा का शिकार हुई है और उसके पति ने उसकी हत्या करके इसी जंगल में दफना दिया है। और तबसे उसकी आत्मा इस घर में कैद हो गई है। यह सुनकर गौरब ने उस आत्मा की मदद करने का सोचा और उससे वादा किया की वह उसे मुक्ति दिलाकर कर रहेगा।
Preceding reportबेस्ट तेनालीराम स्टोरी और कहानी ज्ञान-सीख के साथ हिंदी भाषा में tenali rama Tale in hindi
इतने में और घना अंधेरा छा गया अंधेरा इतना था । कि एक हाथ को दूसरा हाथ दिखाई नहीं दे रहा था। इतने में ट्रेन आ गई ।और बिजली रह-रहकर चमक रही थी।
क्या पता इसको भी इन चीजों में दिलचस्पी हो दूसरे दिन हम लोगों ने ऐसा ही किया तो रात में वह अंदर खेलने नहीं आया। हम लोग ऐसा चार-पांच दिन में एक बार रख के आ जाते थे । एक बार गांव वालों ने देख लिया और पूछा तो हमने सारी बातें बता दी । तब से आज भी वहां पर गांव वाले बीड़ी माचिस ताश के पत्ते हफ्ते में एक बार जरूर चढ़ाते हैं। और आज भी वह आत्मा किसी को परेशान नहीं करती।
बात बहुत पुरानी नही है, मै और मेरे दोस्त अपने आफिस से कुछ दिनो के लिए छुट्टी लेकर अपने तीसरे दोस्त संतोष के गांव मे […]
उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं। प्रसाद ने पहले तो उसे डांटा कि वह पटरी के इतने पास क्यों गया।
घर के अंदर का माहौल बाहर के जैसा भयानक था। छत से जाले लटक रहे थे और हर कदम पर कुछ न कुछ सामान बिखरा परा था। अचानक, गौरब को ऊपर एक आवाज सुनाई दी। उसे लगा की आसपास कोई चल रहा है। गौरब हिम्मत करके ऊपर गया और देखा लम्बी बाल वाली एक औरत सफ़ेद साडी में उसके तरफ आ रही है।